Friday, August 27, 2010

A report by Mrs. Dayamani Barla from Bero Block where government is going illegal




रांची जिला के बेड़ो प्रखंड के गाडगांव और टेंगरिया गांव में 'जान देगें अपने- पूर्वजों की जमीन नहीं देगें' का यह नारा 2008 में पावर ग्रिड काॅरपोरेषन आॅफ इंडिया लिमिटेड के द्वारा किसानों की करीब 90 एकड़ रैयती जमीन अधिग्रहण के खिलाफ पहली बार गुंजा था। दो सालों से सर्घषरत जनता अब कमर कस चुकी है कि किसी भी कीमत में रैयती खेती की जमीन को अधिग्रहण नहीं करने दिया जाएगा। जमीन नहीं देने का विरोध स्थानीय किसान लिखित रूप में लगातार बेड़ो अंचल अधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी बेडा़े, डी सी रांची, राज्यपाल, अपर समाहर्ता रांची, वरीय अभियंता पावर ग्रीड काॅरपोरेषन आॅफ इंडिया लि0 अषोक नगर रांची आदि सभी संबंधित अधिकारियों को देकर करते आ रही है। बावजूद इसके पावर ग्रीड के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रकिया को सरकार, दलाल तथा पावर ग्रीड के अधिकारी  आगे बढ़ाने की कोषिष कर रहे हैं। दूसरी ओर ग्रामीणों ने संकल्प लिया है कि जान देगें लेकिन खेती की जमीन पावर ग्रीड के लिए नहीं देगें। चैंकाने वाली बात तो हैं कि ग्रामीणों ने पावर ग्रीड के लिए विकाल्प में क्षेत्र की अनउपयुक्त भूखंड में तीन विकल्प भी दिये हैं।  जमीन भी चिन्हित कर अधिकारियों को दिखाया गया हैं। बावजूद अधिकारी खेती की जमीन को ही अधिग्रहण करने पर तुले हुए हैं। यह पूरी तरह से किसान और जनविरोधी काम करने की कोषिष की जा रही है।

 करीब 150 किसान 26 जुलाई 2010 को रांची के उपायुक्त श्री कमल किषोर सोनजी से मिल कर अनुरोध किये कि-पावर ग्रीड के लिए खेती की जमीन नहीं ली जाए, हम विकल्प दे रहे हैं, उस पर विचार किया जाए। गाडगांव के 77 किसानों ने तथा टेंगरिया के 54 किसानों ने प्रस्तावित ग्रीड क्षेत्र में आने वाले अपने जमीन का प्लोट ना0 रकबा सहित लिखित विरोध पत्र श्री सोन साहब को सौंपे। उपायुक्त महोदय ने अष्वासन दिया था कि-इस मुददे पर जरूर वे विचार करेगें। 4 अगस्त को उपायुक्त श्री कमल किषोर सोनजी से फोन पर इस संबंध में पूछने पर कि आप इस पर क्या निर्णय ले रहे हैं। इन्होंने बताया कि मैंने पावर ग्रीड वालों को पत्र लिखा है कि गा्रमीणों ने जो विकल्प दे रहे हैं उस पर विचार किया जाए। डी सी साहब ने बताया कि अभी इसका उत्तर नहीं आया है। उत्तर का इंतजार कर रहे हैं इसके बाद देखना है कि क्या करना होगा।

 विदित हो कि राज्य के रांची जिला में बेड़ो, भरनो, मांडर प्रखंड कृषर््ीि के क्षेत्र में प्रगतिषील ईलाका माना जाता है। यह भी सच है कि इस ईलाके के किसानों द्वारा पैदा की गयी सब्जी झारखंड के साथ देष के अन्य राज्यों में भारी मात्रा में भेजा जाता है। सब्जी बाजार में यहां का आलू, अदरक, प्याज, लहसुन, मिर्जा, सहित तमाम प्रकार की हरी सब्जीयां मिलेगें। इसके साथ ही इस ईलाके में कृषर््ीि उपज के नाम पर गेंहु, मकाई, सरसों, धान, मंडुआ, अरहर, उरद, गोड़ा, सभी खेती की जाती है। यह क्षेत्र झारखंड के नक्से में कृषर््ीि के क्षेत्र में विषेष जगह बना लिया हेै। इस ईलाके के किसनों ने यह साबित कर दिखाया है कि सरकार के सहयोग के बिन भी किसान अपना विकास कर सकते हैं, देष को आनाज खिला सकते हैं। विदित हो कि इस ईलाके के किसान अपने परंपारिक खेती-बारी के ज्ञान-विज्ञान पद्वति से ही खेती करते हैं। सिंचाई के लिए जगह जगह पझरा डोभा, पूसा बना कर रखते हैं। जिससे सिंचाई की जाती है। यह पूसा-डोभा एक-दो फुट चैड़ाई का कच्चा कुंआ होता है। किसानों के मेहनत से आयी हरियाली राहगिरों को अनायाष ही अपने ओर  खिंच लेता है। दुर तक फैली हरियाली को आप देख सकते हैं लेकिन कहीं भी कुंआ, पोखर नहीं देख आप का मन मिजाज हैरान होगा कि आखिर खेतों को पानी कहां से मिल रहा है। साल में दो फसल किसान पैदा करते हैं। किसानों का यह कृषर््ीि पद्वति में यदि थोड़ी सुधार की जाए तो झारखंडी आनाज के मामले में कभी गरीब नहीं होगें।

जहां पावर ग्रीड बनानंे की योजना चल रही है वहीं बगल से एक जिंदा नाला बह रहा है। जो 12 माह बहते रहता है। नाला के दोनों ओर किसान सालों भर खेती करते हैं। गर्मी के दिनों भी नाला का दोनों किनारा हर तरह की सब्जी पटा रहता है। गाडगांव, टेंगरिया सहित अगल-बगल के किसानों को चिंता है कि यदि यहां पावर ग्रीड बनता है तो इनकी खेती किसानी पर प्रतिकूल असर पडेगा। 28 जुलाई को किसानों ने जमीन अधिग्रहण के विरोध में प्रस्तावित ग्रीड क्षेत्र में ही सभा किये। सभा में लोगों ने अरोप लगाया कि गांव के ग्राम प्रधान गांव को बेचने में तुले हुए हैं। वे दलालों के साथ पावर ग्रीड रैयती-खेती जमीन पर बैठाने के लिए लोगों को बरगलाने में जुटे हैं। सभा में मंगरा उरांव, जकरियस बेक, मंगल उरांव, बिरसा उरांव, नाथु भगत, हाबिल कच्छप, सुखदेव भगत, मकसुद आलम, पैरो उरांव, जमुना उरांव, सुमन उरांव, डांगो उरांव आदि मुख्यरूप से थे। सभा ने एकजुट हो कर संघर्ष करने की घोषणा की।

 

                              
                 दयामनी बरला

                                                 4 अगस्त 10


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Priya Ranjan, Practicing Ph.D. in Internet Technologies

Official Internet Wanderer
दिलदार वेताल ऑफ़ इंद्रजाल :)

यद्यपि सुवर्णमयी लक्ष्मण लंका मयि ना रोचते 
जननी जन्मभूमिश्च  स्वर्गादपि गरीयसी 

मौन से विस्फोट होता है

Equality maximizes creativity, hierarchy maximizes control...make a choice.. 

पुरुष का निर्माण यदि पुरुष करे तो वह त्रासक होता है और पुरुष का निर्माण यदि नारी करे तो लड़ाई में वह हार जाता है. समस्या प्रेम की हो अथवा युद्ध की, कठिनाइयाँ सर्वत्र समान हैं!
-दिनकर, उर्वशी से.

Hypocrisy is the act of persistently professing beliefs, opinions, virtues, feelings, qualities, or standards that are inconsistent with one's actions. Hypocrisy is thus a kind of lie.

Put your fav hypocrisy pronounced hypocracy (in India) at hypocracy.in .


************************************************* 
Good job Pakistan! Keep your female players in Burqa and start taking ours when they are at the top of their game.

We need a theory of BOREDOM-NeuroScientist, Psychologists?!

We also could use a theory of HAPPENING i.e. how and why things happen-Emergent behavior folks??

One Billion overfed and one billion underfed
What we need is a nutrition bridge...

A government is like core of an electric motor, its torque is welfare of its people.

Communicate!  It can't make things any worse.
-From Fortune on LINUX

सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ति-भर्तृहरि

All the qualities take shelter at gold.
-Bhartrihari

A Russian saying translated in english is correlated-When money talks, the truth is silent.

Visit www.jkmonitor.org  www.ijaal.org, www.ijaal.in.




-Priya Ranjan
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